
Title | : | بلبل السيد |
Author | : | |
Rating | : | |
ISBN | : | 9789529436 |
Language | : | Arabic |
Format Type | : | Paperback |
Number of Pages | : | 100 |
Publication | : | First published January 1, 2020 |
لا أكاد أن أعثر على كاتب حر مثله، فهو يطلق جناحيه ليطير بكل اتجاه بلا هدف، بلا عنوان، بلا منهج يسير عليه، بلا تصنيفات.
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في عمله الجديد، بلبل السيد يأخذنا حسن بلاسم إلى تجريب آخر، تجريب أخطر. يذهب بنا هنا إلى قدس الأقداس، وهي اللغة. وليست أية لغة. إنها اللغة العربية.
أنتم تقولون إنها مقدسة، وإنها مبنية من روح الأمة ومحروسة من قبل ملائكة وتعاويذ وأسرار دينية. حسن أنا قادر على استبدالها بلغة أخرى، قادر على جعل لغة ابن الشارع أن تحل محلها. وهو تحد كبير. لم يجرؤ عليه أي كاتب عربي آخر.
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فما يميز كتابة حسن بلاسم بالعامية العراقية الحالية هي أنها عامية خالصة لا تخالطها الفصحى كما درجت عليها الكتابات الأخرى، وأنها مقطوفة من فم الشارع، فهي تجيء هكذا سلسة، طبيعية، فظة، نابية، لا مفتعلة ولا مفروضة، تسير على نهجها، بطولها وعرضها، إنها منا ومن حولنا، فهي لهجة البسطاء، عباقرة الطريق، مثقفي المهنة، باعة المفرق، فلاسفة الزوايا المهملة، لهجة المعدمين والساخرين والمهملين. لهجة غير متسترة ولا متعالية، مثل فتاة حافية في الطريق.
بقلم الروائي علي بدر
بلبل السيد Reviews
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Divni Blasim. Mnogo je pisaca koji pokušavaju da uhvate trenutno vreme opisujući koronu i politička dešavanja. Čini mi se da nikome nije to uspelo. Doduše, možda i jeste, ali takve reči neće ostati trajno kao vrednost, već postoje radi dnevnog komentarisanja na mrežama i nekog intervjua radi dizanja rejtinga autora i televizija.
Blasim je na savršen način, kroz sedam kratkih ispovednih priča o zanimanjima kojima sa bavio u Iraku, odlično secirao društvo, tako lepo i iskreno, naivnim jezikom. Pronikao je i u srce i dušu orijenta, lepo i čedno piše i o ljubavi, a kad se pomene i desi seks, ne misli se o strasti koliko o iskrenom ljubavnom stapanju i potrazi za podrškom.
Čitajući ovo delo, shvatio sam da Srbija ima dosta političkih paralela sa Irakom, naročito u novoj težnji lošeg odnosa prema životnoj sredini i cenzure u medijima i (ponekad) na društvenim mrežama. Tradicionalne vrednosti su one koje Blasim preispituje i postavlja pitanja njihove svrhe i korisnosti. Na kraju, njegov junak Bulbul (slavuj, a možda i alegorija na Tviter) obreo se u Švedskoj gde ga je na kratko stigla mala intervencija tradicionalista.
Najviše volim kada Blasim priča o identitetu. A ovde je u svega 100 stranica rekao mnogo više od nekih nazovi pisaca koji piskaraju knjige od nekoliko stotina stranica bez ikakve naracije i reda.
Blasim je savršeno opisao sadašnjost. I taj opis, ostaće trajno kao delo zbog zanimljivosti i odličnoj zanatskoj izvezdbi priče. Sve moje preporuke. -
Drago mi je što sam naišla na ovu knjigu, još draže što u posljednje vrijeme sve više čitam savremene autore širom svijeta. I uvijek, ali baš uvijek mi bude neprijatno koliko slabo poznajemo svijet oko sebe. Uprkos činjenici da je glavna tematika romana iračko-iranski sukob i na momente provejava aktuelni novinarski način izvještavanja, Bulbul je pravo osvježenje u savremenoj književnosti.
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٣.٥ اقيمة
تجربة جديدة بالنسبة الية اول مرة اقرأ رواية كلها عامية طبعا حجينة ولهجتنة العراقية ماكو احلى منها واهم شي نفهم ونحس ببعض مو مهم اللغة المهم المعنى، حبيت وجان انطيت اربع نجوم لو ما اخر سطر ، طبعا خلصتة بكعدة وحدة لان هو قليل وخفيف اما سالفة الاباحية الي بالرواية فهو ترة يريد يجذب قراء والي حيقرة عادة بالعامية ويتونس بيها هو ابن الشارع ابن الديرة وابن هلكلمات الي انزعج منها بعض المثقفين .المهم كلامة عن الواقع العراقي صحيح واحنة حيل خطية والله مااعرف شوكت تنفرج علينة واخيرا بيباي التقي وياك بغير رواية ان شاء الله -
حسن بلاسم، وما ادراك ماحسن بلاسم، عندما قرأت الله 99 كنت أعتقد بان حسن لم يترك لاحد غيره من الكتاب اي طريقة جديدة للكتابة، الا انه تبين انني مخطأ تماماً، اتضح انه لازال يحتفظ بواحدة لنفسة، وربما اكثر من واحدة فلا يمكن التنبوء والتكهن بتصرف حسن اثناء الكتابة، نادراً ما توثر بي المكتوبات، الا انني ذرفت دموعاً حقيقية وانا اقرأ هذه الرواية العامية، والاغرب من هذا اني كنت اذرف دموعاٍ حزينة واضحك في نفس الوقت، حسن بلاسم يثبت دائما انه كاتب استثنائي.
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FUCK GILGAMESH THIS IS THE BEST IRAQI STORY IN EXISTENCE.
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الكتاب قيم ومهم جدا واجمل ما فيه لغته العامية ومواضيعه العراقيه..
حسن بلاسم فايت بالغميج كولش هالمرة استمتعت بي واتمنى يكتب اكثر بهيج عامية وبهيج مواضيع حساسه ويكتب بكل المواضيع الحساسه مو فقط السياسية المهم منه ان يفتح المجاري علمود يطلع الخره الجوه حياتنا وتقاليدنا وديننا وسياستنا وسادتنا وشيوخنا وتاريخنا وكل الكذابين -
شوفو هالرواية جنها زيبك، يعني اني كل كتاب صاير اتعاجز من اقراه واطول بيه شهور بس هاي الرواية اقسم برب الكاتبات قريتها كلها مرة وحدة ... هيه لطيفة بس مو حارقة محاقة، بس اللغة كلش تساعدك تكمل قراية. الرواية كلها مكتوبة باللهجة العراقية، وبتعابير مبسطة عبالك بوست فيسبوك طويل. وهذا ينطيها سلاسة منشورات شلش العراقي الله يذكره بالخير، بس مضمون شلش العراقي جان افضل وبيه لغة ومعنى اقوى. القصة زوينة، أول شي مميز بيها...واني ليش كلت فوك رب الكاتبات، لإن رب الراقصات موجود هنانه كشخصية، ويسوي شغلات ما تتوقعها. الشي الثاني المميز انه اكو سكس هواية بالجلفي بحيث تفز يمكن اول مرة من تقرا سطر مثل "صوتها يخبل، و اكثر من مرة جلقت عليه"....صح شايفها قبل بروايات بس هنانه جايه عفوية، تلقائية،طبيعية حيل. واني جنت ادور على هيجي شي من زمان، لإن هذا هو الأدب الصدك ، اللي يحجي عن واقعك اللي تسولف بيه وتفكر بيه كل يوم. وهاي اللحظة تشابه يمكن اللحظة اللي قرر الأوروبي يبطل يكتب لاتيني وكاموا يحجون بالجلفي مالتهم اللي هسه كل وحدة صارت لغة محترمة و ممثلة بمجلس الأمن وبالك عنه. بس يمكن شوية تلعب نفسك من السكس اللي بيها، لان ما متعودين نقرا هيجي اسطر، بس بمنتديات مشبوهة جنت تزورها أيام قبل من جان الإنترنت بطيء. بس برأيي محتضيفلك شي صدك هالرواية عدا عن فكرة : يابه خل نكتب بالعامية مو بالفصحى، لإن كرواية و كأحداث هيه اوكي شي على شي بس مو واو، كل شي يمر بسرعة و الشخصيات ما تلحك تتفاعل وياها حيل لان مرسومة عالسريع. مشكلة ثانية برايي المتواضع المفروض ميفصح عن هذا القصد انه الهدف اكتب بالعامية مو بالفصحى ويظل يكرره ثلث اربع مرات داخل الرواية نفسها، لإن خربتها من فضحت قصدك. لتكشف اوراقك كاتبنا العزيز، وخلي فكرة انه الرواية كلها عامية هي جوابك الغير مباشر عن سؤالك الغير مباشر.
بس حاتابعك اكثر وره هالرواية وجهدك حلو وتنشكر عليه -
Vrijeđanje jednostavno ne može biti sloboda izražavanja, jer ako je sloboda apsolutna, nije sloboda. Autor ovog romana jako dobro zna da koristi uvrede, i to bez ikakvog smisla. U pitanju je vrijeđanje radi vrijeđanja. Posljednja rečenica je odvratna i neukusna (apsolutno ne bih ovako reagovao da je autor govorio o vjerskim licima, ali govoriti na taj način o Bogu je čista mržnja).
Fusnote su takođe loše na nekoliko mjesta (prevodiočev propust). Npr. zekat nema veze sa kurbanom u islamu i nije tačno da je zekat obaveza svih muslimana. Riječ je o obavezi imućnih da udijele dio svoje imovine ( zna se tačno ko se smatra imućnim). Drugi primjer je fusnota o Ali Ibn Abu Talibu r.a. , koji nije bio rodonačelnik šitskog pravca, već jedan od pravednih halifa i ashaba, šiti su nastali mnogo kasnije i izuzetno ga uvažavaju, a to ne znači da je on njihov osnivač.
Međutim, ono što iznenađuje vrlo neprijatno je književna vrijednost ovog romana. Ona je na izuzetno niskom nivou. Pokušaj satire je patetičan (naručito ako ga usporedimo sa Nagibom Mahfuzom). Iako svaki jezik ima sopstvenu idiosinkraziju, ne može se svesti na to da kolokvijalni jezik koristimo na vulgaran i ponižavajući način. Postoje brojni primjeri kolonijalnog jezika u književnosti, koji su maestralni. Takvi su Erdžan Kesal (Potencijalni kandidat) i Ćamil Sijarić (Bihorci). Nema potrebe da se opsceni djelovi opišu na izuzetno prljav način, svi znaju da u ljubavnom činu dvoje ljudi, postoje polni organi i nema potrebe da ih imenujemo. To ne radi ni priprosti i priglupi Iračanin poput Bulbula, kada javno govori o svom životu. Teme koje su obrađene su zapravo odlične, ali neko je trebao da napiše o njima knjigu koja će biti više roman, nego što je to slučaj sa ovom. Svi mogu pronaći dokumentarce o Iraku, ali neki žele da čitaju roman a ne svjedočanstvo. "Stvarnost čudnija od fantazije" i dio o korona virusu su odlični! -
ولأن الرواية بالعامية الدارجة جدًا ( الجلفي ) رح تكون كذلك مراجعتي الها ):
الرواية كلها عبارة عن كلمات مقززة ولعبان نفس رغم واقعيتها لكن صراحتها فظيعة ومقرفة بالوقت ذاته ! ما انصح اي شخص يقراها رغم تكشف زيف هواية امور بس بلاسم رايح شوية زايد وع كولة واحد من الشباب عايش بره ويكتب هيج قابل شعليه !
المهم ): المفروض يصنفوها +١٨ مدري ٥٦ ع القرف اللي بها !
كميّة فشار وكلمات نابية وامور ماصخة وبلا طعم وفوگ كل هذا بها تعدي على الذات الالهية ، تفوّق على بوكوفسكي بأداب المراحيض بتاعه بهذه الرواية !
انت تريد تبّين زيف الجماعة چا غير تكون بخطاب به حظ 🔮
مو هيج يا عمي !! بعيدًا عن حرية التعبير والرأي بس الجرأة الزايدة والصراحة الأوڤر تكره المقابل الحقيقة اللي موجودة .
لاحد يقرا الرواية
لاحد يقرا الرواية
لاحد يقرا الرواية
لانها مقرفة وع طول رح تتقيؤا صدگوني !!
++ لاحد يكتب بعد رواية باللهجة العامية ع الاقل الفصيح تغطي شوية ع كمية الوصف وتخلي الوصف به جمالية او وقعه يكون اخف بالنفس
مو نفس هاللعبان نفس هذه
ما انكر بأن الرواية حقيقية كلّش وكل الكلام اللي بيها اذا مو كله ف اغلبيته واقعي وصحيح ، بس ميصير هيج يا اخخخي ، يعني بالقلم العريض هيج تكتب يا بلاسم يا عم !!!
هدي شوية هدي -
لاتستحق اضاعة الوقت
وستبقى اخر جملة بالروايه توزر كاتبها الى يوم يبعثون على كم القرف الموجود فيها -
ما أقذرك ! ما أقرفك ! زربت بأم الأدب !
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رحلة الكاتب تنامت عبر الناس على الاغلب
كان الدافع الثابت خلالها هو شعور القهر
القهر جراء التخلف الجائح اجتياح كورونا التي قتلت زوجته حيث كانت القشة التي افاضت غضبه ��إسراف
هذا الاسراف بدوره اثمر عن شخصية شبه معتلة ترى نفسها بمعزل عن اخطاء الحزب والقائد والتابعين والمجرمين........والاله
ايميلي كانت مجرد محطة لإفراغ القهر
اخر كلمات الكاتب تؤكد على كونها صورة لكريمة
والاسماء قيلت مجازا كما ذكر لإبعاد نفسه عن شبهة وضعه للشخصيات موضع التشهير
الرواية جيدة..ضحكت في بعض الموارد مع تحفظي على اسلوب الكاتب المموه
من سلبياتها انها ان نظرت اليها بحياد تام ستكون مذكرات عادية كأنني امسكت مذكرات احدهم سرا دون ان يدري وقرأتها
والكاتب يروي قصته من دون الاكتراث للشخصيات المفصلية في حياته ك كريمة التي محيت من ذاكرته بسهولة بعد ان خرج للسويد
واخته التي تركها في مدينة الثورة في العراق
والاشارة بأصابع التهمة لمن يحفز شكه حتى من دون تأكد ك شخصية فاضل
والتكلم مع جمهوره العراقي مع ذكر السلبيات فقط مع اظهار السويد كبلد مثالي بدءا من ايميلي لأنها سمحت له بممارسة الجنس معها
انتهاءا بكلامه المصور عن شخصية حسين ابو الهيل التي ستكون حدثا يستحق ترديده على الناس للاشادة بالسويد دائما وابدًا. -
- بصراحة مكدرت اعتبرها رواية، كلش تشبه بوست فيسبوك طويل!
كل الاحداث و الشخصيات بتعاستها نعرفها كعراقيين و مارة علينا عشرات المرات + سرعة سرد الاحداث ماانطتنا مجال نتفاعل ويه الشخصيات و معاناتها، بحيث مجرد ان ننتقل للفقرة اللي بعدها ننساها!
- شغله لخ الفقرات ال +18 كلش مبالغة بيها و هواية منها مالها اي داعي و لا اعتقد وجودها او عدمها يأثر ب اي طريقة ع سير احداث الرواية!
جنت متوقعه رح الكي كم من الشتائم او الالفاظ المحلو بس صدمتي هنا جانت اكبر 🤷♀️
- و اخر شي المبالغة بتكرار فكرة الكتابة بالعامية شفتها مزعجة نوعا ما كأن القارىء ميفتهم و لازم كل شوية نذكره بهالفكرة!
- و هسه ورا ما قريتها و صح مثل ماكال الكاتب " اللهجة بيها احساس و حرارة و صدق، و تحسها طالعة من كلبك و بيها اختصار فظيع و خطير" بس ما حسيت ان كتابة رواية كاملة بالعامية شي مهم فعلا او رح يضيف شي للرواية العراقية خصوصا اذا قارناها ويه اعمال ثانية حواراتها باللهجة العامية او ع لسان فلاسفة الشارع اذا صح التعبير.
الكلام 👆 مجرد راي شخصي و بس. -
على ما يبدو ان حسن بلاسم لا يفقه المعيار الأدبي لكتابة الرواية .. لقد تملص من اللغة العربية الفصحى بحجة (الكره) .. لكن هذا يجعله في مواجهة أصعب .. فكم هي قوته في سبك المفردات اللغوية من اللهجة العامية؟ .. حسناً لا شيء .. وان ما تقوله علي بدر في المقدمة يجعل منه آثماً بحق الأدب العراقي ..
لا اعلم في اي منحدر واي قذارة قد عاش فيها حسن حتى يجيء لنا بحكاية لا تحمل من المعنى من شيء .. لستُ ضد الرمزية .. لستُ ضد انتقاد الشخصيات .. لكن ان تجعل من نفسك اضحوكة أدبية!! .. ان تستغل حاجة الناس (المقهورين) لتسوق لحكاية لا تصلح حتى ان ترقى الى منشور فيسبوكي .. هذهِ اسوأ من تجارة الرقيق
هذهِ الحكاية لا تنتمي الى جنس الأدب .. ربما تنتمي الى احدى المواقع الاباحية التي تحدث عنها حسن نفسه .. لا تحمل من الفكرة ولا الصياغة بشيء .. ومن قال بغير ذلك .. فقد هوى
انها التجربة الاولى والاخيرة معهُ .. حتى الانتقاد الذي ادونه الآن بالحقيقة لا يستحقه ..
ولا نجمة
اتمنى ان يراجع كل عراقي يدعي بقدرته الروائية نفسه قبل ان يجعلنا اضحوكة ادبية بحجة ان يُصبح مشهوراً ويكف عن الاستجداء بحجة الادب -
هذه التجربة تلقي ضوءا على المقدس في دوائره الضيقة والمتسعة , بدءاً بلغة العمل وإثارة التساؤل المهم , لم لا نكتب أدبنا بلغتنا المحكية؟ , وصولًا إلى موضوع العمل حيث الدين ورجاله وجرائمهم , وحيث تعرية المجتمع العراقي أمام ذاته وبلهجته اليومية البسيطة , شخصيًا أجدها تجربة مهمة ومثار تأمل
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كلمة مبدع قليلة بحقك يا حسن تستاهل هواية نجاح و الكتاب تحفة و حبيته كلش هواية لان هذا هم جان سؤالي دائماً ليش ما نكتب بالعامية حتى من نقراها نحس بتفاعلاتها اكثر من الفصحى .... انتظر الكتاب الي قفلت بي 😂
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حسن بلاسم الجريء الناقم الساخر، ورواية عراقية جدًا..
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مشوقة
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بجرء من الأجزاء يتحول كأنما پوست عالفيسبوك
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حينما يتحول النفاق والثرثرة الى أدب